इंसानों की दुनिया से दूर जानवरों की दुनिया : छतबीड़ ज़ू

शहर से कोसों दूर जाकर भी वो शांति नहीं मिल सकती, जितनी छतबीड़ ज़ू (Chhat Bir Zoo) में जाकर मिलेगी

आपका बर्थ डे कब है? क्या प्लान है, इस बर्थ डे का?

 रुको!

अपने बर्थ-डे की बात बताता हूँ. फिर अपना प्लान डिसाइड करना

बात है 28 फरवरी 2019 की, मेरा जन्मदिन था. ऑफिस से छुट्टी ले रखी थी, इसलिए देर से सोकर उठा. 

आज हॉस्पिटल जाना था. जल्दी से जाकर काम निपटाया और फिर अचानक से छतबीड़ ज़ू का प्लान बनाया.

शायद 2 बज रहे होंगे. इंटरनेट पर छतबीड़ की टाइमिंग चेक कर के फटाफट से छत गांव का रास्ता पकड़ लिया.

चंडीगढ़ से छत” गांव  की दूरी लगभग 20 Kms और ज़ीरकपुर से 10Kms के आस-पास है. इसी गाँव के नाम पर छतबीड़ ज़ू का नाम पड़ा है.

गाँव के बाहर-बाहर से सुनसान और खामोश रास्तों में बाईक राईडिंग एक अलग सा फील देती है. चिड़ियाघर के पार्किंग लॉट में पहुंचे. बाईक पार्क की और मेन गेट की तरफ चल दिए.

60 रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से टिकट खरीद कर एंटर किया (अब टिकट की कीमत बढ़कर 80 रुपये/टिकट हो चुकी है)

तो सबसे पहले ये देखने को मिला-

Tiger in Chhatbir Zoo
(छतबीड़ ज़ू में टहलता टाईगर)

 

एक टाईगर, इतना बड़ा, गुस्से में लग रहा था. मैने काफी दफा उसकी आँखों में आँखें डालने की कोशिश की. उसने मेरी तरफ देखा जरूर मगर आँख नहीं मिलाई. बस एक जगह से दूसरी जगह टहल रहा था. चेहरे पर गुस्सा था, शायद कैद होने का दुख था.

आगे पैदल निकले तो अलग-अलग तरह के जानवर मिले, उनकी आँखों में एक अलग उम्मीद थी. देख कर लग रहा था कि उन्हें बस आज़ाद होना है.

हिरण, बाघ, हाथी, दरियाई घोड़ा, ईमू, ज़ैब्रा, बंदर, सूअर, घड़ियाल, मगरमच्छ, लोमड़ी चीता, भालू, तेंदुआ और शेर……… सब वहां हैं, उनकी एक अलग फैमिली सी है. एक-एक करके हम सबसे मिले. जैसा सोचा था, उससे कहीं ज्यादा अच्छा था छतबीर ज़ू.

ये इलाके का एकमात्र चिड़ियाघर है जहां लॉइन सफारी और डीर सफारी है. हमने भी ट्राई करने का सोचा और टिकट खरीदकर (120 रुपये/ टिकट) एक जालीनुमा बस के अंदर बैठ गए.

बस गेट से अंदर चली तो एक खुले व खाली जंगल में बना सड़क पर आगे चलती रही. अंदर सिर्फ 1-2 ही शेर है वो भी काफी बूढ़े और कमज़ोर किस्म के. हिरण तो खूब है, लेकिन जो उम्मीदें शेर सफारी से होती है वो चीज नहीं मिली. आप अगर जाएं तो ज्यादा उम्मीद लेकर न जाएं.

उस दिन टाइम कैसे बीता पता ही नहीं चला. ज़ू के बंद होने का टाइम 5 बजे का था और उस वक्त 4:30 हो रहे थे.

हमने कुछ फोटोशूट किया, कुछ और जानवर देखे, जो खतम होने का नाम ही नहीं ले रहे थे.

(हमें Facebook पर Like करें)

काफी थक गए थे तो हमने काफी कुछ स्किप भी कर दिया. ज्यादातर पिंजरे बंद हो गए थे और जानवरों को अंदर कैद कर लिया गया था.

5 बज गए तो हमें बाहर आना पड़ा, लेकिन मन था कि इसके अंदर ही बैठे रहें.

लेकिन जाना ही पड़ा तो हम वापस आ गए.

एक बार फिर से वहां जाने की ललक है. क्योंकि उनके चेहरे फिर से देखने का मन करता है. वो ऐसे देखते हैं जैसे कि अपने हों और हमें पहचानते हों. इतने विभिन्न प्रजाति के जानवरों को एक साथ देखना एक अद्भुत अनुभव है.

छतबीड़ ज़ू के नाम से मशहूर महेन्द्र चौधरी ज़ूलॉजिकल पार्क (Mahendra Chaudhary Zoological Park) जाने के लिए चण्डीगढ़ 17 सैक्टर बस स्टैंड से हर एक घंटे में बस चलती है. यही यहां जाने का एकमात्र पब्लिक ट्रांसपोर्ट है. 

मेरा मानना है कि अगर आप चण्डीगढ़ के आस-पास रहते हैं, या नहीं भी रहते हैं. आपको एक ना एक बार यहां जरूर जाना चाहिए. 

50 से ज्यादा प्रजातियों के जानवर आपका वेलकम करेंगे

 

भक्त और चमचों में क्या अंतर होता है?

 

Leave a Comment