शायद भगवान ने ही मुझे पहाड़ों में भेजा.वरना ऐसे कोई खुद-ब-खुद जन्नत में नहीं पैदा हो सकता.
ये खूबसूरत पहाड़, जो एक सदियों से खड़े हमें घेर कर खुद की आगोश में लपेटे हुए हैं. दूसरी तरफ सतलुज की ये आवाज़ें कानों में अक्सर गूंजती रहती है. हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों में जन्म लेना सबकी किस्मत में नहीं होता. मैं हिमाचल में पैदा हुआ हूँ, तो शायद भगवान ने खुद ही मुझे भेजा होगा.
बचपन से ही इन पहाड़ों में समय बिताया है. कभी कुछ अलग महसूस नहीं हुआ ना ही कभा लगा कि किसी खास जगह पर हूँ. लेकिन जबसे शहर में आया हूँ तब से समझ आय़ा है कि ये मेरा घर नहीं बल्कि जन्नत है. जहां जाने के लिए लोग बहुत सी दुआएं करते हैं. तब समझ में नहीं आया था कि इन पहाड़ों में वापस जाने के लिए तरसना पड़ेगा. लोग जहां खूब सारे पैसे खर्च कर लेह- लद्दाख, शिमला, मनाली, उत्तराखण्ड के पहाड़ों में वक्त बिताने जाते हैं, वहीं ये सारे खूबसूरत पहाड़ और ये शांति हमारे दिनचर्या का हिस्सा हैं.
हरियाणा के इकलौते पहाड़- मोरनी हिल्स
पहले जहां घर तक जाने के लिए घंटो पैदल चलना पड़ता था, वहां अब सड़कें हैं. थोड़ी खराब हैं, पर हमारे लिए ये सबकुछ हैं. यहां अपने लोग हैं और सब ईमानदार हैं, शहर की तरह इस बात का डर नहीं जहां हम किसी भी समय ठगे जा सकते हैं. शहर में रहने वाले लोगों को लगता होगा कि कैसे कोई पहाड़ों में जिंदगी बिता सकता है. बोर नहीं होते रोज रोज इन्हीं पहाड़ों को देखकर. उन्हें मैं कैसे समझाऊं कि दोस्त बन चुके पहाड़ ही हमें रास्ता बताते हैं. शिमला से घर तक के रास्ते में अचानक जब आँख खुले तो पहाड़ देखकर ही फट से पता चल जाता है कि कहां पहुंचे हैं, फिर अभी तो रास्ता काफी दूर है.
बेशक समुद्र नहीं हैं, पर छोटी-छोटी नदियां हैं जो साफ हैं. पहाड़ों को लपेट कर नदियां और भी खूबसूरत हो जाती हैं. सड़कें भी नदियों के बीच में से क्रॉस होती हैं. शायद ये मेरी किस्मत है कि मुझे शहरों की पौं-पौं के बीच नहीं बल्कि गांव के खेतों, खलिहानों और शांति भरी साफ हवा के बीच में पलने बढ़ने का मौका मिला.
शहरों में रहना कोई शौक नहीं बल्कि एक मजबूरी है. एक ऐसी मजबूरी जिसको सिर्फ मैं ही नहीं लगभग हर एक पहाड़ी झेल रहा है. वरना जन्नत को छोड़ कर गंदगी में रहने का शौक किसे होता है……
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(नोट- सभी छायाचित्र आईफोन 6एस कैमरा से लिए गए हैं व पूर्णत: मूल प्रति हैं. कृप्या किसी अन्य जगह पर प्रयोग करते हुए स्त्रोत दी इंडियाग्राम लिखना न भूलें)
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