देश का चीफ जस्टिस क्यों खास होता है?

भारत देश लगभग 133 करोड़ लोगों का देश है. यहां सरकार, न्याय, कानून और व्यवस्था चलाना कोई आसान काम नहीं है. ये बात सच है कि देश राजनीतिक विचारधारा को लेकर असंख्य टुकड़ों में बंटा हुआ है लेकिन ये बात माननी पड़ेगी कि जो लोग देश की कार्यप्रणाली में संलिप्त हैं वो कोई कम नहीं हैं.

आज देश के नए मुख्य न्यायाधीश चुने गए हैं जिनका नाम है जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े. देश के चीफ जस्टिस होने का मतलब है कि 133 करोड़ लोगों के लिए इन्साफ का जिम्मा लेना या यूँ कहे कि संविधान के 395 अनुच्छेदों और आई.पी.सी की 511 धाराओं को मुताबिक पूरे देश के लिए न्याय करने की योग्यता रखना.

इससे पहले इस पद पर जस्टिस रंजन गोगोई इस पद पर मौजूद थे जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कई अहम फैसले सुनाए जिन को भारत आने वाले काफी सालों तक भुला नहीं सकता. जैसे कि अयोध्या विवाद, ट्रिपल तलाक विवाद और सबरीमाला इत्यादि.

जस्टिस बोबड़े कोई नए न्यायाधीश नहीं है बल्कि इससे पहले कई सारे महत्वपूर्ण मामलों के लिए गठित बेंच में शामिल हो चुके हैैं. जस्टिस बोबड़े इस वक्त देश के सर्वोच्च न्यायिक पद पर बैठने वाले 47वें व्यक्ति है. चीफ जस्टिस द्वारा लिए गए फैसले प्रत्येक कोर्ट में सर्वमान्य होते हैं.

अयोध्या विवाद जैसे कड़े फैसले लेने की जिम्मेदारी सिर्फ चीफ जस्टिस की ही होती है और ऐसे फैसले लेते वक्त बैंच में शामिल सभी जजों को बेहद संवेदनशीलता और निष्पक्षता से करोड़ों लोगों की भावनाओं का सम्मान करने वाला फैसला सुनाना पड़ता है.

इस समय भारत की न्यायिक प्रणाली उतनी अच्छी स्थिति में नहीं है जितनी कि होनी चाहिए. ऐसे में जस्टिस बोबड़े के पास काफी चुनौतियां हैं जिनका इन्हें सामना करना होगा. 

 

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