चण्डीगढ़ से ज्यादा दूर नहीं है हरियाणा के अनसुने अनदेखे ऊंचे-ऊंचे पहाड़
Day – 9 June 2019, Sunday
From- Zirakpur to Morni Hills
Distance- 45 Kms (Aprox)
Duration- 1 Hour (Single Side)
जब चंडीगढ़ ट्राईसिटी (Chandogarh Tricity) में आग की तरह गर्मी बरस रही हो और आप अपना वीकेंड गेटवे प्लान डिसाइड नहीं कर पा रहे हों, तो आपका बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं हरियाणा के मोरनी गांव के ऊंचे पहाड़. ये पहाड़ खुद में एक अलग तरह की खुशबू को लपेटे हुए हैं क्योंकि ये एक तरफ से तो हिमाचल से घिरा है, और एक ओर से हरियाणा से.
संडे की छुट्टी में ट्रैवलर बनने का शौक जागा तो हम चल दिए मोरनी हिल्स (Morni Hills) घूमने. पहले बस नाम ही सुना था. प्लान बनाया सुबह 10 बजे निकलने का, लेकिन तैयारी करते-करते देर हो ही गई. फाइनली हम 12 बजे तक ही ज़ीरकपुर से निकल पाए और भीषण गर्मी में बाइक पर सवार होकर निकल पड़े.
हमने तय किया कि इस बार गूगल मैप का सहारा नहीं लेंगे बल्कि खुद ही पूछ-पूछ कर रास्ता खोज निकालेंगे. किया भी यही..
और गज़ब के पहाड़ी रास्तों से होकर निकल दिए मोरनी हिल्स की ओर.
रास्ता खत्म होने का नाम नहीं लेता. ये पहाड़ी, वो पहाड़ी, इतने मोड़, काफी सारी गाड़ियां. सब कुछ के बीच से होते हुए 35 कि.मी क्रॉस करके हम मोरनी गांव पहुंच गए.
Distance from Chandigarh to Morni Hills is approximately 35 Kms.
हमें लगा कि बस अब तो अपनी जगह पर पहुंच ही गए. एक बाजार था, जिसमें 4-5 दुकानें और एक शराब का ठेका था. पानी खरीद कर पीया और दुकानदार से आगे का प्रोसेस पूछा तो पता चला कि अभी तो सिर्फ मोरनी गांव पहुंचे हैं. असली मोरनी टूरिस्ट स्पॉट (Morni Tourists Spot) तो यहां से 8 कि.मी आगे है.
आगे का रास्ता उतराई (Downward) का था. थोड़ा खराब रास्ता था लेकिन मजेदार था. कड़ी धूप में हम फाइनली टिक्कर ताल लेक, मोरनी पहुंच गए, जो कि मोरनी में असली पिकनिक स्पॉट है (Morni Picnic Spot). एक अच्छा सा रिसोर्ट (Resort) था जहां काफी सारे लोग नज़र आ रहे थे. नीचे एक लेक थी, जिसमें कुछ लोग बोटिंग करते भी दिख रहे थे. पार्किंग का साइनबोर्ड देखकर बाइक पार्क की. 20 रुपये की पर्ची लेकर पार्किंग वाले ने हेलमेट को भी वहीं रखने की सलाह दी, बोला कि हमारी जिम्मेदारी है. ये सबसे सही था, क्योंकि हमें सबसे ज्यादा टेनशन हेलमेट को हाथों में उठाने की ही होती है.
नीचे गए तो कहीं भी छाया नहीं थी, क्योंकि पेड़ ही नहीं लगाए गए हैं. एक दो छांव की जगह थी पर वहां लोगों ने पहले से ही डेरा जमा रखा था. हमने छांव ढूंढी तो लेक से काफी ऊपर यानी उस रिसोर्ट के गार्डन में एक बैंच मिल गया. वहां बैठे, तो कुछ ठंडक मिली. फिर शुरू हुआ फोटोसेशन. कुछ ऐसा.
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भूख लग चुकी थी. रेस्टुरेंट सामने था. बस गए और लंच किया. खाना काफी अच्छा था और ज्यादा महंगा भी नहीं था. इसलिए खा कर हम निकल गए. एडवेंचर पार्क की ओर. एडवेंचर पार्क में 50 रुपये की टिकट लगती है और कहा जाता है कि अंदर आपको कुछ ऐसी चीजें मिलेंगी.
-भूल भुलैया
-ट्री- हाऊस
-भूत बंगला
-रिवर क्रॉस
-बच्चों के खेलने की चीजें
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गए तो बहुत ही नाजुक हालत में था वो एडवेंचर पार्क. सब खराब हो रहा था. इतना गर्मी होने की बावजूद भी लोग काफी थे. क्योंकि ये पार्क मोरनी लेक के बहुत ही नजदीक है.यहां भी आधा पौना घंटा घूम कर निकल दिए वापस.
ये जानकारी हमें पार्किंग वाले भाई से मिली थी कि यहां नजदीक में मोरनी फोर्ट भी है जो कि दरअसल मोरनी गांव में ही है. हमने भी वापस मोरनी पहुंच कर फोर्ट में जाने का डिसाइड किया. क्योंकि फिर कभी आना हो न हो बस एक बार में सब देखकर जाना है. फोर्ट में काफी कम लोग थे. मतलब मुश्किल से 8-10 लोग होंगे. लेकिन फॉर्ट था बहुत सुंदर. एक वाइल्ड लाइफ गैलरी की तरह. एक बार आपको जरूर जाना चाहिए. फोटो लेना अलाऊड नहीं था इसलिए दिखा नहीं सकते.
अब तक 5 बज गए थे. एक कोल्ड ड्रिंक लिया. पीया, और वापस निकल दिए, एक नए रास्ते से.
ये एक काफी अच्छा रविवार रहा.
चण्डीगढ़ के नजदीक रहते हो, तो एक बार जरूर मोरनी हिल्स जा के आएं. अगर गए हैं तो अपना अनुभव बताएं.
6 thoughts on “हरियाणा के इकलौते ऊंचे पहाड़ – मोरनी हिल्स”